छो ("हमें तो याद नहीं -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;"
+
{| width="100%" class="table table-bordered table-striped"
 
|-
 
|-
 
|  
 
|  
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हमें तो याद नहीं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;"><font color=#003333 size=5>हमें तो याद नहीं<small> -आदित्य चौधरी</small></font></div>
 
----
 
----
{| width="100%" style="background:transparent"
+
<center>
|-valign="top"
+
<poem style="width:360px; text-align:left; background:transparent; font-size:16px;">
| style="width:35%"|
+
| style="width:35%"|
+
<poem>
+
 
नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
 
नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
 
रही हो याद कोई भी हमें तो याद नहीं
 
रही हो याद कोई भी हमें तो याद नहीं
पंक्ति 25: पंक्ति 22:
 
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं
 
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं
 
</poem>
 
</poem>
| style="width:30%"|
+
</center>
|}
+
 
|}
 
|}
  
  
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
+
 
<references/>
+
 
<noinclude>
 
<noinclude>
 
{{भारतकोश सम्पादकीय}}
 
{{भारतकोश सम्पादकीय}}

11:15, 13 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

Copyright.png
हमें तो याद नहीं -आदित्य चौधरी

नहीं थी बात कोई भी जिसे कि भूले हम
रही हो याद कोई भी हमें तो याद नहीं

कुछ इस तरहा गुज़री ये ज़िन्दगी अपनी
जिया हो लम्हा कोई भी हमें तो याद नहीं

हरेक चोट पे मरहम लगा के देख लिया
भरा हो ज़ख़्म कोई भी हमें तो याद नहीं

पिलाई हमको गई, नहीं किसी से कम
हुआ हो हमको नशा भी हमें तो याद नहीं

मिले थे लोग बहुत, चले थे साथ कई
बना हो दोस्त कोई भी हमें तो याद नहीं



सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: [email protected]   •   फ़ेसबुक