छो ("आँखों का पानी -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
(कोई अंतर नहीं)

07:32, 7 अप्रैल 2014 का अवतरण

Copyright.png
आँखों का पानी -आदित्य चौधरी

कभी तू है बादल
कभी तू है सागर
कहीं बनके तालाब पसरा पड़ा है

कभी तू है बरखा
कभी तू है नदिया
कहीं पर तू झीलों में अलसा रहा है

मगर तेरी ज़्यादा
ज़रूरत जहाँ है
उसे सबने अाँखों का पानी कहा है



सभी रचनाओं की सूची

सम्पादकीय लेख कविताएँ वीडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पर्क- ई-मेल: [email protected]   •   फ़ेसबुक